सोमवार, 30 दिसंबर 2013

जी करता है . . .

तेरे प्यार पर जां निशार करने को जी करता है
तेरी हर बात पर ऐतबार करने को जी करता है

बेपनाह हों दूरियाँ , भले तेरे-मेरे दरमियाँ
क़यामत तक तेरा इंतज़ार करने को जी करता है

हाथों में हाथ हो, तू मेरे अगर जो साथ हो
दुनिया के हर डर से इनकार करने को जी करता है

तेरे दामन की खुशियाँ भले हमें मिले न मिले
तेरा हर अश्क़ खुद स्वीकार करने को जी करता है 

खामोश हो जाते हैं लब तेरे सामने जाने क्यूँ 
हर रोज़ मगर प्यार का इज़हार करने को जी करता है 


3 टिप्‍पणियां:

  1. उम्दा बहुत खूब ऐसे ही समर्पम से बढ़ता है प्रेम
    come on my blog also

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  2. बहुत खूबसूरत अंदाज़ में पेश की गई है पोस्ट......नव वर्ष के आगमन पर पर सार्थक रचना........शुभकामनायें।

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